My job alarm

sarso : सरसों को लेकर बंटे सुप्रीम कोर्ट के 2 जज, जानिये क्या है पूरा मामला

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sarso : सरसों को लेकर बंटे सुप्रीम कोर्ट के 2 जज, जानिये क्या है पूरा मामला
My job alarm (sarso) : सरसों से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के जज बंटे हुए दिखाई दिए। जीएम सरसों यानी जेनेटिकली मोडीफाइड सरसों (GM Mustard) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच के जजों ने अलग-अलग फैसला दिया है। जिसके बाद अब इस मामले में फिर से पेंच फंस गया है। फैसला जानने से पहले बताते हैं कि आखिर GM फसल क्या होती है। Genetically Modified यानी जीएम फसलें वे फसलें होती है जिन्हें जेनेटिक इंजिनियरिंग के जरिए किसी भी जीव या पौधों के जीन को दूसरे पौधों में डालकर विकसित किया जाता है। इसको हम इस तरह भी समझ सकते है कि बीजों के जीन्स में बदलाव करके उनमें मनचाही विशेषता पैदा करने के लिए प्राकृतिक बीजों को मोडिफाई कर फसल की नई प्रजाति तैयार की जाती है। दरअसल, केंद्र सरकार ने 2022 में सरसों (sarso) की संकर यानी हाइब्रिड किस्म DMH-11 को बीज उत्पादन और टेस्टिंग के लिए पर्यावरण में छोड़ने को लेकर फैसला लिया था। कुछ रिपोर्ट में फसल वजन मानक पर सटीक नहीं बैठने समेत कुछ अन्य कारणों के चलते ये जीएम सरसों (sarson ki hybrid kism demech-11) विवादों में घिर गई और इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।

सरसों बीज पर जजों की अलग अलग राय

सुप्रीम कोर्ट के जस्‍ट‍िस बीवी नागरत्ना और जस्‍ट‍िस संजय करोल की पीठ ने जीएम सरसों (sarso) को लेकर की गई सिफारिश पर सुनवाई की। जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) ने 18 अक्टूबर, 2022 में ये सिफार‍िश की थी। जीईएसी हाइब्रिड फसलों (Mustard GEAC Hybrid Crops) को नियंत्र‍ित करने या मंजूरी देने वाली संस्‍था है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ के दोनों जजों ने अपनी अलग अलग राय दी। सरसों बीज (mustard seeds) पर जजों की अलग अलग राय मिलने की वजह से पीठ ने पूरे मामले को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने रखने का फैसला क‍िया, ताक‍ि क‍िसी और पीठ को इसे सुनने के लिए रखा जा सके। हालांकि, दोनों जज इस बात पर एक मत दिखे क‍ि जीएम फसलों को एक राष्‍ट्रीय नीत‍ि होनी चाह‍िए। इसको लेकर केंद्र सरकार को फैसला करना चाहिए। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय जीएम फसलों पर राष्ट्रीय नीति तैयार करने से पहले सभी हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ परामर्श करें। 4 महीने में इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए, तो बेहतर होगा।

जस्‍ट‍िस नागरत्ना ने कही बड़ी बात

जस्‍ट‍िस नागरत्ना ने जीएम फसलों (GM Mustard) को पर्यावरण में छोड़े जाने के मुद्दे पर कहा कि 18 और 25 अक्तूबर, 2022 को दिए गए जीईएसी के निर्णय दोषपूर्ण थे, क्योंकि बैठक में स्वास्थ्य विभाग का कोई सदस्य शामिल नहीं था। बैठक में 8 सदस्य गैरहाज‍िर थे। इसल‍िए इतना महत्‍वपूर्ण निर्णय लेना सही नहीं था। दूसरी ओर, जस्टिस करोल ने कहा कि जीईएसी के फैसले किसी भी तरह से मनमाने और गलत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जीएम सरसों फसल (sarso) को सख्त सुरक्षा उपायों का पालन करते हुए पर्यावरण में छोड़ा जाना चाहिए। उच्च न्यायाल ने ने कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और गैर-सराकारी संगठन ‘जीन कैंपेन’ की अलग-अलग याचिकाओं पर ये फैसला सुनाया। याचिका में स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय द्वारा एक व्यापक, पारदर्शी और कठोर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किए जाने तक पर्यावरण में आनुवंशिक रूप से संवर्धित जीवों (GMO) को छोड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।

एक्सपर्ट ने जताई चिंता

जीएम सरसों का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से जीएम सरसों की बुवाई और उपज को लेकर कृषि वैज्ञानिक चुप्पी साधे रहे हैं। वहीं, कुछ एक्सपर्ट ने फील्ड ट्रायल पर प्रतिबंध की आशंका पर चिंता जाहिर की है। एक तिलहन अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक ने कहा कि ट्रायल की अनुमति दे देनी चाहिए, भले ही व्यावसायिक अनुमति ना मिले। क्योंकि इससे वैज्ञानिक अनुसंधान का दायरा बढ़ेगा।
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