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Wheat Flour Price : रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा गेहूं का भाव, आटा हुआ और भी महंगा

Wheat Price Update : जहां एक ओर महंगाई लगातार बढ़ती चली जा रही है, वहीं लोगों के लिए आटे-दाल को खरीदना भी मुश्किल हो रहा है। गेहूं के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं।अब तो गेहूं का भाव रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। बेशक यह गेहूं को स्टॉक करके रखने वाले किसानों के लिए फायदेमंद है लेकिन आम उपभोक्ताओं की रसोई का बजट बिगड़ रहा है। लगातार बढ़ते गेहूं के रेटों (Wheat Price Hike) को देखते हुए सरकार को भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है। हालांकि गेहूं के रेट फिलहाल कम होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। 

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Wheat Flour Price : रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा गेहूं का भाव, आटा हुआ और भी महंगा

My Job Alarm - (Wheat Price) लोगों की जेब पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ रही है। जहां एक ओर आम जनता बढ़ते गेहूं व आटे के रेट से परेशान हो रही है। वहीं दूसरी ओर कई किसानों ने रेट और बढ़ने के चक्कर में गेहूं को स्टॉक (latest Wheat Price  किया हुआ है। किसानों को गेहूं के रेटों में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जिसकी वजह से उनको ज्यादा प्रोफिट मिल सकता है। किसानों के इस कदम की वजह से गेहूं के रेट (Wheat Price Today) लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इन रेटों को कंट्रोल करने के लिए सरकार कई फैसले ले सकती है। अगर सरकार ओपन मार्केट सेलिंग स्कीम (OMSS)शुरू कर देती है तो भी गेहूं के रेटों को कंट्रोल किया जा सकता है। 


जानिये कब कम होंगे गेहूं के दाम


पिछले कुछ दिनों से गेहूं के भाव लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। अगर एक महीने पहले के गेहूं के रेटों के बारे में बात करें तो एक माह पहले गेहूं 30 रुपये किलो (Wheat Price Today 24 november) के भाव पर आसानी से मिल रहा था लेकिन अब गेहूं के भाव बढ़कर 35 रुपये किलो हो गये हैं।

जिसकी वजह से आम लोगों को गेहूं का आटा लगभग 40 रुपये प्रति किलो के भाव पर मिल रहा है। महंगाई की मार न सिर्फ गेहूं और आटे पर बल्कि गेहूं के बीजों पर भी पड़ी है। गेहूं के बीज (Wheat Seed Price)  20 प्रतिशत महंगे बिक रहे हैं। फिलहाल कुछ दिनों तक गेहूं के रेटों में कोई गिरावट की उम्मीद नहीं है। दिसंबर में तो ये ब्याह शादी के सीजन के कारण और हाई हो सकते हैं। 

जानिये गेहूं के थोक और खुदरा रेट 


सरकारी गोदामों से तो अब तक गेहूं को मार्केट में नहीं उतारा गया है। फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने इस वर्ष अप्रैल से ही गेहूं नहीं दिया है। जबकि दावे किए जा रहे हैं कि एफसीआई के पास गेहूं का भंडार (gehu ke rate lgatar Kyu badh rha hai) पर्याप्त है। गेहूं मार्केट में न पहुंचने की वजह से बाजार पर आपूर्ति का दबाव बना हुआ है। मांग के अनुसार बाजार में गेहूं का स्टॉक कम है। वर्ष 2024-25 में गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल (wheat MSP) तक पहुंच चुका है। अगर मंडी में थोक (Wheat Price In Wholesale Market) रेटों के बारे में बात करें तो यहां 3000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं मिल रहा है। जबकि खुदरा रेट 3400-3500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं। पिछली बार अगस्त, सितंबर में FCI का गेहूं बाजार में आने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। 

इंपोर्ट ड्यूटी के बढ़ने से नहीं हो पा रहा गेहूं का आयात


जानकारी से पता चलता है कि विदेश से मंगाए जाने वाले गेहूं पर 40 प्रतिशत तक इंपोर्ट या कस्टम ड्यूटी (import duty On Wheat) लगाई जा रही है। इस वजह से गेहूं विदेशों से भी आयात नहीं हो रहा, अगर आयात भी किया जाए तो यहां तक पहुंचते पहुंचते इतने ही रेट में पड़ेगा। अभी गेहूं की नई फसल की आवक भी दूर है जो मार्च तक मार्केट में आ सकेगा। जिसकी वजह से मार्च 2025 में ही गेहूं की कीमतें कुछ कम हो सकती हैं। उससे पहले गेहूं के रेट (gehu ka taja bhav) गिरने की कम ही उम्मीद है। साउथ इंडिया में तो गेहूं  और भी महंगा है। यहां गेहूं के रिटेल प्राइस की बात करें तो फुटकर बाजार में गेहूं 35 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रहा है। प्रति क्विंटल के थोक भाव भी करीब 3400 रुपये क्विंटल के आसपास हैं।

4 साल से लगातार बढ़ रहे गेहूं के रेट


वर्ष 2020 के बाद गेहूं के रेटों में गिरावट (gehu ka aaj ka bhav) नहीं आई है। जब से देशभर में कोरोना महामारी आई थी तब ही से गेहूं के रेट लगातार बढ़ते ही चले गए। कोरोना काल में मंडियों व बाजार में गेहूं की आवक न होना भी इसका कारण है। वर्ष 2020 में गेहूं का एमएसपी 1925 रुपये प्रति क्विंटल के करीब था। वहीं बाजार में ये ही गेहूं 3000 रुपये प्रति क्विंटल के रेट (Wheat Price In 2020) से बिक रहा था किंतु जैसे ही कोरोना महामारी आई तो उसके बाद से हर साल बाजार भाव में प्रति क्विंटल पर तेजी देखने को मिली है।

बढ़ाना होगा गेहूं का उत्पादन


सरकार को गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना होगा। साथ ही मंडियों की आवक का लक्ष्य भी बढ़ाना होगा। कुछ ऐसे कारगर व सार्थक कदम भी उठाने होंगे जिससे गेहूं की आवक बढ़े और मंडियों तथा बाजार में गेहूं की आपूर्ति (Wheat Price update)मांग के अनुसार हो सके। सरकार को गेहूं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शोधों को भी बढ़ावा देना होगा। कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो अब ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान नवंबर के महीने में भी अधिक होता है, जबकि यह महीना गेहूं की बिजाई का है और गेहूं की बढ़वार के लिए ठंडा व कम तापमान वाला मौसम होना चाहिए। गर्मी व तापमान अधिक होने से गेहूं (wheat rate today)की बिजाई देरी से हो जाती है। ऐसे में उत्पादन पर भी असर पड़ता है।

प्रतिकूल मौसम का पड़ता है उपज पर असर


कम तापमान वाला अनुकूल मौसम न मिलने से गेहूं (gehu ka bhav kya hai)की बालियां सूख जाती हैं। इसके अलावा बीज व खाद की किल्लत को भी खत्म करना होगा, ताकि किसानों को इनकी समय पर उपलब्धता हो सके। अगर तापमान अनुकूल नहीं है तो किसान गेहूं की बुवाई में पांच किलो प्रति एकड़ बीज बढ़ा सकते हैं ताकि पूरा उत्पादन हो। अब गेहूं का बीज महंगा हो गया है, जो लगभग 90 रुपये किलो के आसपास किसानों को मिल रहा है। सरकार को गेहूं की उन्नत किस्मों (top varieties of wheat)के साथ-साथ सस्ता बीज भी उपलब्ध कराना चाहिए। गेहूं की अधिक उपज वाली किस्में लोकवन, पीवीडब्ल्यू 343, पीवीडब्ल्यू 502, एचडी 2967 बीज केंद्रों पर किसानों को मिल नहीं पा रही हैं।


सरकार ने सस्ता आटा उतारा मार्केट में


गेहूं के लगातार बढ़ते दामों के कारण आम उपभोक्ताओं को आटा (wheat flour price)काफी महंगा पड़ रहा है। आटे के रेट भी सातवें आसमान पर जा पहुंचे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने सस्ता आटा भारत आटा नाम से मार्केट में उतारा है। उत्तर प्रदेश रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि सरकार अब सस्ते दामों पर भारत आटा ले आई है, इससे आटे के दामों पर अंकुश लगेगा तथा साथ ही लोगों को कम रेट में आटा मिल सकेगा। सरकार ने गेहूं व आटे की कीमतों (wheat flour price hike) पर लगाम लगाने के लिए मिल वालों को खुले बाजार के जरिये गेहूं देने की बात कही है। सरकार इस दिशा में प्रयासरत है। जल्द ही गेहूं व आटे के दाम नियंत्रित होने की उम्मीद है।

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