UPSC की तैयारी के समय मिले, फिर बने जीवनसाथी, अब IAS ने पढ़ाकर पत्नी को बनाया अफसर
My job alarm - (Love and success story of IAS) आज तक बहुत सी सफलता की कहानियां सुनी और पढ़ी होगी। लेकिन आज जो कहानी हम आपके लिए लेकर आए है वो सबसे हटके है। वो कहते है ना सफलता यूं ही नही मिलती है इसके लिए कठिन यतन करने पड़ते है लेकिन इसमें अगर किसी चाहने वाले का साथ मिल जाए तो सफर उतना मुश्किल नही लगता है। ऐसे ही प्रेम और साथ की कहानी के बारे में इस खबर में बताया गया है। इसलिए ऐसी ही एक कहानी से आज हम आपको अवगत कराने वाले (success story) है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे एक छोटी सी शुरूआत हमराही बनने तक पहुंची। ये कहानी है दो आईएएस जोड़ों की, जिन्होंने एक साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी (UPSC Preparation) शुरू की और बाद में हमसफर बन गए।
यहां जानें पूरी कहानी...
इन दोनों के बारे में बता दें कि राजस्थान के आईएएस (IAS success story) घनश्याम मीणा मौजूदा समय में यूपी के फ़िरोज़ाबाद म्युनिसिपल कमिश्नर हैं। वह 2015 बैच के आईएएस हैं और उनकी पत्नी वर्ष 2017 बैच की आईएएस हैं और नतीजा ये हुआ कि आज वो यूपी के अयोध्या की मुख्य विकास अधिकारी (development officer in Rajsthan) हैं। इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। कहते हैं न कोई यूं ही नहीं कोई मुकाम हासिल कर लेता, उसके पीछे काफी मेहनत होती है, जो पर्दे के पीछे रह जाती है और कम ही लोग उसकी तह तक पहुंच पाते (success story in hindi) हैं।
आईएएस बनने के लिए किया ये संघर्ष
इन आईएएस जोडें में पति घनश्याम मीणा बताते है कि उनका आईएएस बनने का सफर आसान तो बिलकुल भी नही रहा है लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि कैसे सिविल सर्विसेज के दौरान ही उनकी मुलाकात अनीता से हुई, जो बाद में आगे चलकर उनकी हमसफर बन गईं। अपने जीवन के बारे में बताते हुए घनश्याम मीणा बताते हैं कि वह 7 भाई बहन (IAS Ghanshyam Meena family) हैं और उनकी पढ़ाई लिखाई जयपुर में ही हुई उनके परिवार में पढ़ाई को हमेशा से प्राथमिकता दी गई। यही कारण है कि उनके भाई बहनों में सभी अच्छे पदों पर हैं। कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर तो अकाउंटेंट ऑपिफसर है। इसके पीछे की वजह वह यह बताते हैं कि चूंकि उनके पिताजी एडिशनल कमिश्नर थे, तो उनका फोकस भी पढ़ाई को लेकर हमेशा ही रहता था। उनके पूरे परिवार में पढ़ाई को तवज्जों दी जाती है।
IAS घनश्याम की पढ़ाई
इनकी(IAS Ghanshyam Meena qualification)पढ़ाई के बारे में बता दें कि उन्होने बिड़ला सीनियर सेकेंडरी स्कूल पिलानी से 10वीं 12वीं की पढ़ाई करने के बाद बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग किया। वह बताते हैं कि वर्ष 2009 में इंजीनियरिंग पासआउट होने के बाद देश दुनिया में मंदी का दौर आया, जिसकी वजह से नौकरियां नहीं मिल रही थीं। ऐसे उन्होंने तय किया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे और आईएएस अधिकारी बनेंगे।
ऐसे हुई आईएएस कपल की मुलाकात
इसके बाद वो अपनी तैयारी के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए। साल 2010 में उन्होंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन उस वक्त उनका प्री भी क्लियर नहीं हुआ। इसी दौरान घनश्याम ने राजस्थान पीसीएस का फॉर्म भरा और पहले ही प्रयास में उन्होंने पीसीएस की लिखित परीक्षा पास कर ली। पीसीएस के इंटरव्यू की तैयारी (PCS interview preparation) के लिए उन्हें जोधपुर जाना पडा। यहीं उनकी मुलाकात दो अन्य दोस्तों के साथ हुई जिनमें अनीता भी थी।
इसके बाद सब इंटरव्यू की तैयारी में जुट गए और आखिरकार अनीता (IAS Anita success story) और घनश्याम का सेलेक्शन राजस्थान वाणिज्य कर विभाग में हो गया। कमाल की बात तो ये कि दोनों ही पोस्टिंग जयपुर में ही हो गई लेकिन घनश्याम के मन में आईएएस बनने का ख्वाब पल रहा था। ऐसे में वह और अनीता दोनों यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहे। वर्ष 2013 में घनश्याम का प्री मेंस क्लियर हो गया और इंटरव्यू कॉल हो गया, लेकिन फाइनल रिजल्ट में उनका सेलेक्शन नहीं हुआ।
ऐसे तय किया आईएएस बनने का सफर
घनश्याम बताते हैं कि वाणिज्य कर विभाग (Department of Commerce) में नौकरी करते हुए तैयारी करना आसान नहीं था। शाम 5 बजे ऑफिस से आने के बाद रात में 11 बजे तक, उसके बाद सुबह 1 बजे से 7 बजे तक वह पढ़ाई करते थे। फिर आखिरकार वर्ष 2014 में उन्होंने रणनीति बदली और इस बार उनका सेलेक्शन हो (IAS Ghanshyam Meena) गया। ट्रेनिंग के लिए उन्हें मसूरी भी दिया गया। घनश्याम बताते हैं कि वर्ष 2015 में अनीता का यूपीएससी प्री क्लियर हो गया।
इतना ही नही, अपनी ट्रेनिंग (IAS training) के बाद वह अनीता की तैयारी कराते। फिर शादी के माहौल के बाद अनिता ने यूपीएससी मेंस की परीक्षा दी और आखिरकार सफलता मिली और अनीता को इंटरव्यू कॉल आ गई। इस परीक्षा में अनीता को आईआरएस कैडर मिल गया लेकिन अनीता ने 2016 में दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी (How to do UPSC preparations) की और 350 वीं रैंक के साथ उन्हें आईएएस कैडर मिल गया।