My job alarm

Success Story : चूड़ी बेचने वाले से IAS अफसर बनने तक का सफर, जानिए रमेश की संघर्ष भरी कहानी

Success Story : कहते हैं कि कठिन आर्थिक हालात अक्सर इंसान को इतना झकझोर देते हैं कि तरक्की का कोई रास्ता नजर नहीं आता। लेकिन हौसले और आत्मविश्वास से भरे लोग हर मुश्किल को पार कर कामयाबी की मिसाल कायम करते हैं। ऐसी ही एक कहानी है रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) की, जिन्होंने गरीबी और संघर्ष के बावजूद अपनी मेहनत से IAS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। आइए जानते हैं इनकी कहानी को विस्तार से...
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Success Story : चूड़ी बेचने वाले से IAS अफसर बनने तक का सफर, जानिए रमेश की संघर्ष भरी कहानी

My job alarm - (UPSC Success Story) भारत में UPSC की परीक्षा को सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। इसकी तैयारी के लिए अक्सर लाखों रुपये खर्च कर महंगी कोचिंग ली जाती है। लेकिन रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि वे कोचिंग का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। हालांकि, रमेश ने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने सेल्फ स्टडी को अपना आधार बनाया और पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई की। महंगी कोचिंग के बिना, उन्होंने अपनी क्षमता और आत्मविश्वास पर भरोसा रखते हुए UPSC परीक्षा में सफलता हासिल की।

 

इस सफर में रमेश को कई कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके हौसले और दृढ़ निश्चय ने उन्हें कभी हार मानने नहीं दी। उनकी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर IAS अफसर बनने का सपना साकार किया। आज IAS रमेश घोलप न केवल एक सफल अधिकारी हैं, बल्कि उनकी कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। वे साबित करते हैं कि यदि आपके पास जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति है, तो किसी भी बाधा को पार कर अपनी मंजिल हासिल की जा सकती है।

 


पिता करते थे साइकिल ठीक -

रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap) का जन्म महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। उनके पिता साइकिल के मिस्त्री थे और साइकिल ठीक करने का काम करते थे। परिवार पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन जब बीमारी के चलते उनके पिता का अचानक निधन हो गया, तो परिवार पर दुखों और गरीबी का पहाड़ टूट पड़ा। पिता के निधन के समय रमेश की स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं हुई थी। छोटी सी उम्र में पिता का साया सिर से उठने के बाद रमेश और उनका परिवार घोर गरीबी में घिर गया। जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद रमेश ने हार नहीं मानी।

 

उनकी मां ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए गांव-गांव जाकर चूड़ियां बेचने का काम शुरू किया। रमेश भी अपनी मां का सहारा बने। विपरीत परिस्थितियों में भी रमेश ने पढ़ाई जारी रखी और अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लिया। आज रमेश की सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। यह दिखाता है कि अगर व्यक्ति के पास दृढ़ इच्छाशक्ति, मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण हो, तो कोई भी बाधा उसे उसकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती।

 

चूड़ी बेचने से IAS बनने तक -

रमेश घोलप (IAS Ramesh Gholap Intoduction) का जीवन संघर्ष, हौसले और सफलता की अद्भुत कहानी है। पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई। ऐसे में रमेश की मां ने परिवार का गुजारा चलाने और बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए गांव-गांव घूमकर चूड़ियां बेचने का काम शुरू किया। रमेश भी अपनी मां का हाथ बंटाने के लिए उनके साथ चूड़ियां बेचने जाया करते थे। हालात इतने मुश्किल थे कि रमेश को न केवल आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा, बल्कि उन्हें पोलियो की वजह से शारीरिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने अपने सपनों को मरने नहीं दिया। बड़े लक्ष्य को हासिल करने की चाहत ने उन्हें हौसला और मेहनत का रास्ता दिखाया।

अपने चाचा के सहयोग से रमेश बार्शी चले गए, जहां उन्होंने पूरी लगन से पढ़ाई की। कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के साथ उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर IAS बनने का सपना पूरा किया। रमेश की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों से जूझते हुए अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखता है। यह दिखाता है कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आप में हौसला है, तो आप अपनी मंजिल जरूर हासिल कर सकते हैं।

टीचर से IAS अफसर बनने का प्रेरक सफर -

रमेश घोलप का सफर संघर्ष और प्रेरणा की मिसाल है। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार रमेश ने बीएड की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2009 में एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी शुरू की। यह नौकरी उन्होंने (UPSC strategy) परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए की थी। इस दौरान, एक कार्य के सिलसिले में उनका संपर्क एक तहसीलदार से हुआ। तहसीलदार की नौकरी और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा ने रमेश को प्रभावित किया और अफसर बनने की ललक उनके मन में जाग उठी। उन्होंने इस लक्ष्य को पाने के लिए पक्का इरादा कर लिया।

रमेश ने अपने सपने को साकार करने के लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और UPSC की तैयारी में जुट गए। इस कठिन सफर में उनकी मां ने उनका हर कदम पर साथ दिया और उन्हें मानसिक व भावनात्मक सहारा दिया। रमेश अपनी सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हैं, जिन्होंने उनके सपने को पूरा करने में उनका पूरा सहयोग किया। रमेश की कहानी दिखाती है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो और किसी का समर्थन मिले, तो किसी भी मुश्किल को पार करके अपने सपनों को साकार किया जा सकता है।


इंडिया लेवल पर 287वां रैंक -

रमेश ने बिना कोचिंग के UPSC में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया कि आत्मविश्वास और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। आर्थिक चुनौतियों के चलते कोचिंग लेना उनके लिए संभव नहीं था, लेकिन अपनी मेहनत और संकल्प पर भरोसा रखते हुए उन्होंने सेल्फ-स्टडी के दम पर यह परीक्षा पास की।

पहले प्रयास में असफलता मिलने के बावजूद रमेश ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी गलतियों से सीख ली और अगले प्रयास में दोगुनी मेहनत के साथ तैयारी की। 2012 में अपने दूसरे प्रयास में (UPSC prepration Tips) उन्होंने ऑल इंडिया लेवल पर 287वीं रैंक हासिल की और IAS अफसर बनने का सपना पूरा किया। रमेश का मानना है कि अगर पक्के इरादे, कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से किसी लक्ष्य के लिए प्रयास किया जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है। उनकी सफलता कहानी उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखना और उन्हें पूरा करना चाहते हैं।

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