नोटों पर Mahatma Gandhi से पहले छपती थी ये तस्वीर, जानिये क्यों किया बदलाव
Indian Notes: भारत में नोटों का इतिहास बहुत पुराना और विस्तरित हैं। हमारे देश के नोटों पर हम शुरू से महात्मा गांधी की तस्वीर देखते आ रहे हैं। अधिकतर लोगों को लगता हैं कि हमेशा ही हमारे नोटों पर गांधी जी की (Mahatma Gandhi) तस्वीर रही होगी लेकिन आपको बता दें कि ये सच नहीं हैं। दरअसल, नोटों पर गांधी जी की तस्वीर आने के पीछे कईं बातें हैं जिसके बारे में हम आपको इस खबर में पूरी डिटेल बताने जा रहे हैं...
My job alarm - (indian currency) : एक साल में कितने नोट छापे (indian currency) जाएंगे इसका इसका अंतिम फैसला एक तरह से भारत सरकार का ही होता है। हालांकि, सरकार भी इसे लेकर वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों के साथ बातचीत करती है। इसकी अनुमति लेने का प्रोसेस 2 चरणों में होता है। पहले चरण में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) केंद्र सरकार को नोट छपाई के लिए अर्जी भेजता है। इसके बाद सरकार इस पर आरबीआई के ही वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों के एक बोर्ड के साथ बात करती है। फिर आरबीआई को नोट छापने की मंजूरी दे दी जाती है। इस तरह नोट छपाई (bank notes) की अनुमति के लिए सरकार, बोर्ड और आरबीआई मिलकर ही काम करते हैं। भारतीय नोटों पर 1969 में पहली बार महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की फोटो छापी गई थी।
देश में स्वतंत्रता की सांस 1947 में ली गई। इसके बाद से लिए जाने वाले सारे फैसले हमारे देश के स्वतंत्र फैसले होते हैं। इसी के अधीन नोटों पर तस्वीर की छपाई को लेकर भी सबसे बडा फैसला लिया गया कि अब ब्रिटिश राजा की तस्वीर के स्थान पर महात्मा गाँधी की (Indian Currency Note) तस्वीर लगाई जानी चाहिए। लेकिन तत्कालीन सरकार इस फैसले तक पहुंचने में काफी समय लगा रही थी, यानी इस बात का फैसला तत्काल में नहीं लिया गया। इस बीच सारनाथ में गांधी चित्र के स्थान पर राजा के चित्र को लायन कैपिटल से बदल दिया गया।
इस नोट पर छापी गई Mahatma Gandhi की फोटो
1969 में रिज़र्व बैंक ने 100 रुपये का एक (Indian Currency Note news) स्मारक नोट जारी किया जिसमें महात्मा गांधी को सेवाग्राम आश्रम की पृष्ठभूमि में बैठे हुए दिखाया गया था। राष्ट्रपिता की जन्म शताब्दी के अवसर पर महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 100 रुपये के स्मारक मुद्रा नोट पर दिखाई दी थी।
इसके बारे में विस्तार से बात करें तो महात्मा गांधी से पहले भारतीय नोटों पर ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज VI की तस्वीर छपती थी। 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी मिलने के बाद भी कुछ समय तक नोटों पर किंग जॉर्ज की तस्वीर छपती रही। आज़ादी के बाद, नोटों पर किंग जॉर्ज की (100 rupee note) जगह अशोक स्तंभ की तस्वीर छापने का फ़ैसला किया गया। साल 1949 में भारत सरकार ने पहली बार एक रुपये का नया नोट जारी किया, जिसमें किंग जॉर्ज की जगह अशोक स्तंभ की तस्वीर छपी थी। इसके बाद साल 1950 में 2, 5, 10, और 100 रुपये (Mahatma Gandhi indian Notes) के नोट भी जारी किए गए, जिन पर भी अशोक स्तंभ की तस्वीर छपी थी।
1954 में अधिक कीमत के नोट (1,000 रुपये, 5,000 रुपये, 10,000 रुपये) फिर से शुरू किये गए. 1000 रुपये के करेंसी नोट पर तंजौर मंदिर, 5000 रुपये के गेटवे ऑफ इंडिया और 10,000 रुपये के (Red Fort on 500 rupee note) लायन कैपिटल, अशोक स्तंभ की आकृति के साथ नोट प्रिंट किए गए। हालांकि, इन अधिक कीमत के करेंसी नोटों को 1978 में चलन से बाहर कर दिया गया था। 1980 के दशक में नोटों का एक बिल्कुल नया सेट देखा गया।
महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार साल 1969 में नोटों पर छपी थी। यह तस्वीर उनके सेवाग्राम आश्रम की थी। साल 1987 में 500 रुपये के नोट पर भी महात्मा गांधी की तस्वीर छपी। साल 1996 में आरबीआई (heritage On The Indian Currency Note) ने महात्मा गांधी सीरीज़ लॉन्च की थी। इस सीरीज़ के नोटों में वॉटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड, और लेटेंट इमेज जैसे सुरक्षा फ़ीचर थे।
समय के साथ नोट में किया गया बदलाव
साइंस और टेक्नोलॉजी के प्रतीकों (2 रुपये के नोट पर आर्यभट्ट), प्रगति (1 रुपये पर तेल रिग और 5 रुपये पर कृषि मशीनीकरण) और 20 रुपये और 10 रुपये पर भारतीय कला रूपों के प्रति अभिविन्यास में बदलाव पर जोर दिया गया था। नोट्स (कोणार्क व्हील, पीकॉक)। रिप्रोग्राफ़िक तकनीकों की (image on Indian Currency Notes) प्रगति के साथ, पारंपरिक सुरक्षा सुविधाओं को अपर्याप्त समझा गया। RBI अतिरिक्त सुविधाएं लेकर आया और 1996 में एक नई 'महात्मा गांधी सीरीज’ शुरू की गई। इनमें अंधे लोगों के लिए परिवर्तित वॉटरमार्क, विंडो सुरक्षा धागा, गुप्त छवि और इंटैग्लियो विशेषताएं शामिल की गई जो आज भी प्रिंट होती है।