My job alarm

Savings Account : एक बैंक खाते में भूलकर भी न रखें इस लिमिट से ज्यादा पैसा, गंवा बैठेंगे मेहनत की कमाई, जानिये RBI के नियम

Savings Account Deposit Limit : बैंक में खाता हर किसी का ही होता है लेकिन इसके नियमों के बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी ही नही होती है। लोग बैंक में अपने पैसों को जमा करके तो रखते है लेकिन वो कितनी लिमिट तक इसमें पैसा जमा करवा सकते है इसके बारे में शायद ही सब को मालूम हो। तो अगर आप भी इस जानकारी से अंजान है तो आज की हमारी ये खबर आपके बेहद काम की है। इसे लेकर आरबीआई (RBI rules on bank deposit) ने नियमों का खुलासा किया है। आपके लिए ये नियमों की जानकारी बहुत जरूरी है। नही तो आप अपनी मेहनत की कमाई से हाथ धो बैठेंगे। 
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Savings Account : एक बैंक खाते में भूलकर भी न रखें इस लिमिट से ज्यादा पैसा, गंवा बैठेंगे मेहनत की कमाई, जानिये RBI के नियम

My job alarm - (Deposit Insurance Coverage rules) नौकरी में हो चाहे बिजनेस में हर कोई अपनी मेहनत की कमाई में से कुछ हिस्सा निकाल कर उसे अपने भविष्य के लिए सेव करके रखता ही है। इसके लिए अधिकतर लोगों के द्वारा अपने बैंक खाते (Bank account) का इस्तेमाल किया जाता है। लोग अपने बैंक खाते में अपना पैसा जमा करवाते है। हर कोई सुरक्षा को देखकर बैंक में पैसे रखना ही पसंद करता है लेकिन क्या बैंक में आपकी पूरी रकम सुरक्षित है? अब सवाल ये उठता है कि अगर बैंक डूब जाए या दिवालिया (bank bankrupt) हो जाए तो क्या ग्राहक की पाई-पाई लौट आएगी? इसका जवाब है नहीं। 


इस पर जानकारी देते हुए हम आपको बता दें कि अगर कोई बैंक डूब जाता है तो उस बैंक में ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की जमा ही सिक्योर्ड है। इससे पहले यह लिमिट 1 लाख रुपये तक (bank deposit limit) थी। लेकिन बजट 2020 में वित्त मंत्री के द्वारा इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया। अगर किसी एक बैंक में ग्राहक की इससे ज्यादा रकम जमा है तो बैंक के दिवालिया होने पर 5 लाख को छोड़कर बाकी की जमा राशि डूब जाएगी। इससे ग्राहकों का नुकसान होना तो तय है। 


​DICGC देती है इतने जमा पर इंश्योरेंस कवरेज


जैसा कि हमने आपको ऊपर बता ही दिया है कि बैंक की ओर से 5 लाख रुपये तक की बैंक जमा पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी (DICGC act) कॉरपोरेशन डिपॉजिट इंश्योरेंस की ओर से कवरेज है। अगर बात करें DICGC की तो ये भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है। सभी कमर्शियल और को—ऑपरेटिव बैंकों का DICGC से बीमा होता है। इस बीमे के तहत जमाकर्ताओं को 5 लाख तक की बैंक जमा पर सुरक्षा की गारंटी (insurance coverage) मिलती है। DICGC के कवरेज में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक व कोऑपरेटिव बैंक कवर्ड हैं, चाहे उनकी ब्रांच भारत में हो या विदेश में।

 

जानकारी के अनुसार, DICGC बैंकों को इंश्योर्ड बैंक के रूप में पंजीकृत करते (DICGC  insurance coverage rules)  हुए, उन्हें प्रिंटेड लीफलेट्स के साथ फर्निश्ड करता है। इससे जानकारी मिलती है कि यह बैंक DICGC द्वारा इंश्योर्ड है। अपने पैसों को सुरक्षित रखना चाहते है तो पहले आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि आपका बैंक DICGC के इंश्योरेंस कवरेज के तहत आता है या नहीं, इस बारे में शाखा अधिकारी से पूछताछ कर सकते हैं।


​एक ही बैंक में हों कई खाते तो क्या होगा?


हमने आपको ऊपर ये तो बताया था कि किसी व्यक्ति को बैक डूब जाने पर 5 लाख तक की राशि का भुगतान ही बैंक के द्वारा किया जाएगा। लेकिन आपको ये भी जान लेना चाहिए कि जमा पर इंश्योरेंस कवरेज (Insurance coverage on deposits) की 5 लाख रुपये तक की नई लिमिट एक ग्राहक की एक बैंक में मौजूद सभी जमाओं मसलन, बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को मिलाकर है। अब इसका मतलब ये हुआ कि अगर किसी बैंक की एक ही या अलग-अलग ब्रांच में ग्राहक ने अलग-अलग खातों में पैसा जमा कर रखा है, तो उन सभी को मिलाकर 5 लाख रुपये तक की रकम के ही सेफ होने की गारंटी है। इस रकम में मूलधन और ब्‍याज (principal and interest amount)  दोनों को शामिल किया जाता है। आपको अपना अतिरिक्त पैसा और अतिरिक्त लाभ नही मिलने वाला है। 


​जान लें किस तरह के डिपॉजिट किए जाते हैं कवर


बैंक में हर तरह की जमा मसलन सेविंग्स, फिक्स्ड, करंट, रेकरिंग या अन्य
विदेशी सरकार द्वारा जमा
इंटर बैंक डिपॉजिट
केंद्र/राज्य सरकार का डिपॉजिट
राज्य के भूमि विकास बैंक की जमा
रिजर्व बैंक की मंजूरी से छूट प्राप्त कोई डिपॉजिट
भारत से बाहर का कोई डिपॉजिट


जॉइंट अकाउंट होने पर कितना मिलेगा पैसा?


कवरेज के नियमों के मुताबिक 5 लाख रुपये की लिमिट एक ग्राहक की एक ही बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी एकल खाता जमाओं जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को मिलाकर है। लेकिन मान लो अगर किसी के एक ही बैंक में सिंगल और जॉइंट दोनों अकाउंट हैं तो दोनों में 5-5 लाख रुपये तक की रकम सिक्योर्ड ( how much deposit safe in bankrupt bank) रहेगी। इसका कारण है कि रिजर्व बैंक के अनुसार सिंगल और जॉइंट अकाउंट को अलग-अलग यूनिट माना जाता है। इसलिए पैसे भी दोनो को बराबर मिलेंगे। 
खाताधारक नाबालिग हो तो...


मान लो कि किसी बैंक में एक नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का खाता है और उसे कोई वयस्क, कानूनी अभिभावक के तौर पर ऑपरेट कर रहा है तो ऐसे में माइनर अकाउंट को एक अलग खाता माना जाएगा। इस केस में उसमें अलग से 5 लाख रुपये तक की जमा सुरक्षित रहेगी। लेकिन अगर एक ही बैंक में एक ही नाबालिग के नाम पर एक से ज्यादा खाते हैं तो सभी खातों को मिलाकर 5 लाख रुपये वाली लिमिट लागू ( deposit amount safe in bank in case of minor ) होगी। बैंक के ये नियम साफ और स्पष्ट है। 


महज 90 दिन में किया जाएगा भुगतान


इस मामले पर देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 में DICGC एक्ट में एक संशोधन का प्रस्ताव रखा था और केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने DICGC एक्ट में संशोधन को मंजूरी भी दे दी थी। इसके बाद 2021 में जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (Credit Guarantee Corporation) विधेयक, 2021 संसद से पारित भी हो गया। 


आपकी जानकारी के लिए ये बता दें कि देश में ये कानून एक सितंबर 2021 से लागू हुआ है। संशोधन के बाद अब किसी बैंक के डूबने या संकटग्रस्त होने पर डिपॉजिटर्स (bank depositers news) को 90 दिन के अंदर 5 लाख रुपये तक की रकम मिलने की प्रॉसेस पूरी हो जाएगी। इसके दायरे में उन बैंकों के ग्राहक भी आएंगे, जिन पर आरबीआई ने कोई प्रतिबंध या मोरेटोरियम लगाया हुआ है। पहले इस प्रक्रिया को पूरा होने में 2 से 3 तीन साल भी लग जाते थे, जिससे संकटग्रस्त बैंक के ग्राहकों की जमापूंजी लंबे वक्त के लिए फंस (RBI rules) जाती थी।

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