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Property Tax : पत्नी के नाम पर है प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री तो जानिये किसे देना होगा टैक्स

Income Tax Rules : शहर में रहने वाले लोगों को प्रॉपर्टी टैक्स भरना होता है, लेकिन इसके बारे में कई बार कंफ्यूजन बनी रहती है। मान लीजिए, यदि पति ने अपनी पैसों से प्रॉपर्टी पत्नी के नाम पर खरीदी है, तो इस स्थिति में सवाल उठता है कि टैक्स किसे भरना होगा।  इस मुद्दे पर कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रॉपर्टी टैक्स भरने की जिम्मेदारी किसकी होती है। आइए नीचे खबर में जानते हैं - 

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Property Tax : पत्नी के नाम पर है प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री तो जानिये किसे देना होगा टैक्स

My job alarm - दिल्ली की इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि यदि एक हाउस प्रॉपर्टी के रजिस्टर्ड सेल्स डीड (Registered Sales Deed) में पति और पत्नी की होल्डिंग का उल्लेख नहीं किया गया है, तो उन्हें प्रॉपर्टी में समान हिस्सेदारी के रूप में माना जाएगा। यह निर्णय शिवानी मदान के मामले में लिया गया, जिसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान 9.8 लाख रुपये के टैक्सेशन को बरकरार रखा गया था।

मामला क्या था?

इस मामले की शुरुआत साल 2011 में हुई जब एक बिजनेस ग्रुप (Business Group) और उसके टैक्सपेयर्स पर तलाशी के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पति के साथ मिलकर 3.5 करोड़ रुपये में एक घर की प्रॉपर्टी खरीदने का पता लगाया। इस प्रॉपर्टी से होने वाली आय का खुलासा आईटी-रिटर्न में क्यों नहीं किया गया, यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया। शिवानी मदान ने प्रॉपर्टी में केवल 20 लाख रुपये का निवेश किया था, जो खरीद मूल्य का लगभग 5.4 प्रतिशत है।


आईटी नोटिस (IT Notice) के जवाब में, शिवानी ने हाउस प्रॉपर्टी से होने वाली आय में अपने हिस्से का खुलासा किया। लेकिन अपील के विभिन्न चरणों में इस एप्रोच को रिजेक्ट कर दिया गया, जिसके बाद मामला ITAT में पहुंचा।

ITAT की सुनवाई

आईटीएटी (ITAT) में पति ने तर्क रखा कि सेल डीड में पत्नी का नाम जोड़ने की प्रथा रही है, और इस प्रकार से हाउस टैक्स (house tax) का 50 फीसदी टैक्स लगाना उचित नहीं है। उन्होंने विभिन्न न्यायिक फैसलों का हवाला दिया, लेकिन आईटीएटी ने इन सबमिशन को खारिज कर दिया।


टैक्स ट्रिब्यूनल ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने स्पष्ट रूप से कहा था कि संपत्ति से होने वाली आय पर केवल पति के नाम पर कर लगाया जाना चाहिए, खासकर जब पत्नी एक हाउस वाइफ हो। जबकि मदान के मामले में, वह एक वेतनभोगी थी और उस बिजनेस ग्रुप के साथ काम कर रही थी, जिसके खिलाफ तलाशी ली गई थी।

आईटीएटी ने खारिज की सबमिशन

हालांकि, इस मामले के तथ्यों के आधार पर, ITAT ने इन सबमिशन को खारिज कर दिया। उदाहरण के लिए, टैक्स ट्रिब्यूनल बेंच ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था कि संपत्ति से होने वाली आय पर केवल पति के नाम पर कर लगाया जाना चाहिए, क्योंकि पत्नी एक हाऊस वाइफ थी। पत्नी की इनकम का कोई सोर्स नहीं था और पूरा निवेश उसके द्वारा किया गया था। जबकि मदन के मामले में, वह एक वेतनभोगी थी।


असल में मदन उस बिजनस ग्रुप के साथ काम कर रही थी जिसकी तलाशी ली गई थी। टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि हाउस प्रॉपर्टी में पत्नी का नाम जोड़ा जाना काफी आम बात है। हालांकि प्रॉपर्टी (Property) के बिल्डर और सेलर को सभी सह-मालिक की ओर से किए गए सटीक होल्डिंग का दस्तावेज़ीकरण, बैंक खातों का विवरण जिससे भुगतान किया गया है, पिछले कर रिटर्न आदि की जानकारी रखनी चाहिए। ये सभी इस तरह की मुकदमेबाजी के मामले में काम आएंगे।

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