My job alarm

Home Loan देते समय बैंक कर जाते हैं ये खेल, ग्राहक को लगाते हैं मोटी चपत

Home Loan Tips : घर खरीदने का सपना हर किसी का होता है। बढ़ती महंगाई के इस दौर में प्रॉपर्टी के रेट आसमान छू रहे हैं ऐसे में पर्याप्त पैसे नहीं होने के कारण लोग बैंकों से होम लोन लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होम लोन से जुड़ी पूरी जानकारी न होने कारण बैंक आपको मोटी चपत लगा सकते हैं। अक्सर होम लोन देते समय बैंक (Bank charges on Home loan) कई तरह के चार्ज लगा देते हैं  जिसके बारे में ग्राहक को पता भी नहीं चलता और वह बैंक वालों के जाल में फंस जाते हैं। आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि होम लोने लेते समय आपको किन किन बातों ध्यान रखना चाहिए। आईये जानते हैं - 

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Home Loan देते समय बैंक कर जाते हैं ये खेल, ग्राहक को लगाते हैं मोटी चपत 

My job alarm - (Bank charges on Home loan): आज के समय में हर कोई अपने सपनों को साकार करने के लिए कोई न कोई उपाय ढूंढ ही लेता है। आज के समय में कई ऐसे साधन आ गए हैं जिनके जरिए आप अपनी इच्छाओं को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इनमें प्रमुख है बैंकों द्वारा ऋण की सुविधा।

अगर आपका अपना घर होने का सपना है तो आप होम लोन (home loan) लेकर इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं। लेकिन सबसे बड़ी जरूरत घर की है। मेट्रो शहरों में काम करने आए लोग अपनी पूरी जिंदगी किराए के मकानों में गुजारते हैं। इनमें से कुछ जगहों पर फ्लैट लेने के बाद लोगों को जो खुशी होती है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।

 

 

उदाहरण के लिए कहा जा सकता है कि हर नौकरीपेशा व्यक्ति आमतौर पर अपनी छोटी-छोटी खुशियां सैलरी से ही पूरी करता है। उसकी कई छोटी-छोटी खुशियाँ भी उधार लेकर घर आती हैं। इसी खुशी में वह कभी अपने घर के लिए बिजली का बड़ा सामान खरीदता है तो कभी घर के लिए कार खरीदता है. इन सबमें वह कभी-कभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। घर की हर वस्तु खुशियां लेकर आती है। पूरा परिवार इस प्रगति को देखता और महसूस करता है। 

बैंकों की इस चाल से खुद को ऐसे बचा सकते हैं

आज हम लोगों के अपने घर के सपने को साकार करने की बात (buy home by taking loan) नहीं कर रहे हैं। लेकिन जब लोग अपने सपनों को हासिल करने के करीब होते हैं तो वे कैसे भावुक हो जाते हैं। इसे लेकर उनमें इतनी उत्सुकता होती है कि कई बार वे लोन देने वाली संस्थाओं के दुष्चक्र में फंस जाते हैं। कुछ ही जानकार लोग हैं जो बैंकों या वित्तीय संस्थानों के इस दुष्चक्र से खुद को बचा पाते हैं। आज हम इसी दुष्चक्र के बारे में बात करने जा रहे हैं और आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि आपको क्या करना चाहिए। आप ऐसे जाल में कैसे नहीं फंस सकते और लंबे समय तक अपनी जेब पर अनावश्यक बोझ नहीं डाल सकते?


पैसा कमाना है बैंक का मकसद

दरअसल, जब भी बैंक से लोन लेने के लिए जाते हैं तो बैंकों और वित्तीय संस्थानों का एक ही मकसद होता है कि ग्राहकों से ज्यादा से ज्यादा पैसा कैसे कमाया जाए। वे आपके हित के लिए कम और अपने हित के लिए अधिक काम करते हैं। आपकी एकमात्र रुचि यह है कि जानकारी के साथ कैसे आगे बढ़ना है।

इंश्योरेंस पॉलिसी (insurance policy):

अब अगर बैंक की चतुराई की बात करें तो बैंक ग्राहक की जानकारी के बिना ही बड़ी चालाकी से आपके लोन की रकम में बीमा राशि जोड़ देता है और आपको यह भी समझा देता है कि इस पॉलिसी के लिए आपको कुछ भी नहीं करना है। बैंक अब आपको लोन के साथ बीमा पॉलिसी भी बेचता है। ये थोड़ा विचारणीय है। बैंक आपको लोन देता है और उस पर ब्याज लेता है। बैंक आपको टर्म इंश्योरेंस (term insurance) देता है ताकि वह अपने लोन की सुरक्षा ले सके। यह अलग बात है कि बैंक लोन की सुरक्षा के लिए गारंटर भी लेता है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, यह स्पष्ट है कि लोन लेने वाले के साथ-साथ उसका गारंटर भी लोन चुकाने के लिए जिम्मेदार है।

यहां होती ग्राहक की गलती:

इन सभी चीजों के लिए बैंक एक और सिक्योरिटी भी तैयार करता है. वह टर्म इंश्योरेंस के साथ अपने पैसे की दोहरी सुरक्षा की गारंटी देता है। खैर, अब तक चीजें ठीक हैं. लेकिन यहां बैंक आपको सही और उचित जानकारी नहीं देता है. या फिर लोन लेने वाले लोग आमतौर पर भावुकता और जिज्ञासा के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते।

जानिए बैंक की चालाकी

बैंक यहां पर चालाकी से आपके लोन के अमाउंट में इंश्योरेंस के अमाउंट में जोड़ देता है और आपको यह भी समझा देता है कि इस पॉलिसी के लिए आपको कुछ नहीं करना है. हम लोन के प्रीमियम में मात्र कुछ 100 रुपये जोड़ देंगे जो लोन की ईएमआई के साथ ही धीरे-धीरे चुकता हो जाएगा. और होता भी यही है कि हम सभी इसे झट से स्वीकार लेते हैं. क्योंकि हम सभी को दिखता है कि मात्र चंद सौ रुपये के साथ ही हमारी पॉलिसी का प्रीमियम चुकता हो जाएगा. हमें इसकी अलग से कोई चिंता नहीं करनी होगी. न ही अलग से कोई प्रयास करना होगा. 

ऐसे होता है खेल

लेकिन सारा खेल यहीं हो जाता है. जिसे आज हम समझाने जा रहे हैं. मान लीजिए कि आपने बैंक से 20 लाख का लोन लिया है. इसके साथ ही आपको बैंक इंश्योरेंस पॉलिसी देता है ताकि वह अपने लोन की सुरक्षा कर सके. जिस सिंगल प्रीमियम पॉलिसी की कीमत केवल 25 से 30 हजार रुपये की होती है. बैंक इस प्रकार की पॉलिसी के लिए आपकी ईएमआई में 200-300 रुपये तक प्रतिमाह जोड़ देता है. बैंक करता यह है कि इस प्रीमियम की राशि आपके प्रिंसिपल अमाउंट में जोड़कर आपको लोन कर देता है. इसके चलते यदि यह लोन भी 20 साल का हो जाता है. यानी आप 300 प्रतिमाह के हिसाब से 3600 रुपये साल के दे रहें जो 10 साल में 36 हजार हो जाती है. और 20 साल में 72 हजार. गौर करने की बात तो यह होती है कि यह भी होम लोन की तरह ही कटता है. यहां पर भी बैंक पहले ब्याज लेता है फिर मूलधन को कम करता है. 

क्या कहते हैं जानकार जानिए...

जब हम बैंक से होम लोन लेते हैं तो बैंक अकसर होम लोन के ब्याज से ज्यादा ब्याज इस प्रकार की पॉलिसी के प्रीमियम के लिए चार्ज करते हैं. अमूमन यह एक प्रतिशत ज्यादा होता है. वे कहते हैं कि अगर मान भी लें कि बैंक ज्यादा प्रीमियम नहीं चार्ज करते हैं तब भी यह घाटे का ही सौदा है. 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बैंक के लिए आपकी लाइबिलिटी उनका एसेट है. आप जब तक भी ईएमआई भरते रहेंगे यह चार्ज लगता रहेगा. अच्छा होगा कि बैंक इंश्योरेंस के प्रीमियम को अलग कर दें लेकिन ऐसा नहीं होता है. बैंक यहां पर ग्राहकों को सही गाइड नहीं करते हैं. 

अगर रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी लेंगे तो इंश्योरेंस लेना समझदारी की बात है। सिंगल प्रीमियम से अच्छा रहता है. वहीं यह जरूरी नहीं आप बैंक के माध्यम से ही पॉलिसी खरीदिए क्योंकि आप बाजार में अन्य जगह से पता करके सस्ती प्रीमियम वाली पॉलिसी ले सकते हैं. 

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