लोन नहीं चुकाने वालों को मिले 5 अधिकार, जानिये RBI की गाइडलाइन
My job alarm - (RBI loan Rules ) आजकल अपने सपनों को पूरा करने के लिए आपको सालों साल पैसे इकट्ठे करने की जरूरत नही है बल्कि आप लोन लेकर आसानी से अपनी जरूरतों और सपनो को पूरा कर सकते है। ऐसे ही आपके घर बनाने का सपना भी आप आसानी से साकार कर सकते है। होम लोन एक ऐसा जरिया है जिससे कि हर कोई आज अपना घर बनाने में कामयाब हो पाता है। लेकिन कई बार लोग लोन लेकर अपनी जरूरतें तरो पूरी कर लेते है लेकिन लोन का भुगतान (loan repayment) नही कर पाते है ऐसे में बैंक के द्वारा उन्हे डिफॉल्टर घोघित कर दिया जाता है। ऐसा तब होता है जब कोई आम आदमी अपने होम लोन (Home Loan emi) या फिर पर्सनल लोन (Personal Loan emi) की EMI नहीं चुका पाता और फिर डिफॉल्ट कर जाता है तो ऐसा नहीं है कि लोन देने वाली कंपनी या फिर बैंक आपको परेशान करने लगे।
आज के समय में ऐसे कई नियम हैं, जो उसकी ऐसी हरकत पर लगाम लगाते हैं। इस पर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबर्दस्ती नहीं कर सकता है। अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों की सेवाएं (Recovery Agent services ) ले सकते हैं। लेकिन, ये अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं। इस तरह के थर्ड पार्टी एजेंट ग्राहक से मिल सकते हैं। उन्हें ग्राहकों को धमकाने या जोर जबरदस्ती करने का अधिकार नहीं है। वे ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते (time to visit loan holders) हैं। हालांकि, वे ग्राहकों से बदसलूकी नहीं कर सकते हैं। अगर इस तरह का दुर्व्यवहार होता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं। बैंक से सुनवाई न होने पर बैंकिंग ओंबड्समैन का दरवाजा खटखटाया जा सकता (rbi rules) है।
आइए जान लें क्या हे आपको ये 5 मुख्य अधिकार
सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी
इस पर एक्सपर्ट्स अपनी राय देते हुए बताते हैं कि अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वाले बैंक, वित्तीय संस्थान को सही प्रक्रिया अपनाना बेहद जरूरी है। जानकारी के लिए बता दें कि सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक (Right to seize assets legally) है। हालांकि, इसमें भी ये बात ध्यान रखनी जरूरी है कि नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं। सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (sarfaesi) एक्ट कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब्त करने का अधिकार देता है।
नोटिस का अधिकार
अगर आपने लोन लिया है और अब आप उसे चुका पाने में सक्षम नही है तो ऐसे में डिफॉल्ट (loan default) करने से आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते और न ही इससे आप अपराधी बनते हैं। बैंकों को एक निर्धारित प्रोसेस का पालन कर अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा (possession of property) करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होता है। अक्सर बैंक इस तरह की कार्रवाई सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (sarfaesi act) के तहत करते हैं।
आपको शायद इस बारे में पता ही होगा कि लोन लेने वाले को तब नॉन- परफॉर्मिंग एसेट NPA यानी डूबे हुए कर्ज में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है। इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस जारी करना पड़ता (bank notice) है।
इसके बाद भी अगर अगर नोटिस पीरियड में बॉरोअर भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री (sale of asset by bank) के लिए आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि, एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें बिक्री के ब्योरे की जानकारी देनी पड़ती है।
एसेट का सही दाम पाने का हक
लोन के समय गारंटी के तौर पर जो एसेट रख जाता है उसकी बिक्री से पहले बैंक/वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता (auction of property by bank) है। इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है।बकाया पैसे को पाने का अधिकार अगर एसेट को कब्जे में ले भी लिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए। लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लेनदार को हक है। बैंक को इसे लौटाना (legal rights of loan holders) पड़ेगा।