Property possession : क्या जमीन पर 100 साल तक कब्जा करने के बाद मिल जाता है अधिकार, हाई कोर्ट ने किया साफ
Illegal occupation of property - कई लोग अपनी जीवनभर की कमाई लगाकर जमीन या प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन कई बार देखा गया है कि कुछ लोग इन प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा कर लेते हैं, जिससे असली मालिक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में कोलकाता हाई कोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए यह साफ किया कि अगर कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर 100 साल तक अवैध कब्जा करता है, तो क्या उसे मालिकाना हक मिल सकता है या नहीं। आईये नीचे खबर में डिटेल जानते हैं -
My job alarm - कोलकाता हाई कोर्ट (Kolkata High Court) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी प्रॉपर्टी पर 100 साल तक अवैध कब्जा करने से उस पर मालिकाना हक नहीं मिलता है। यह मामला कोलकाता के माजेरहाट इलाके में स्थित कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की जमीन पर अवैध कब्जे से जुड़ा था। इस मामले में एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि अवैध कब्जे को हटाया जाए।
न्यायाधीश अमृता सिन्हा की एकल पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की और आदेश दिया कि कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की जमीन पर किए गए अवैध (illegal occupation of land) निर्माण को तुरंत हटा दिया जाए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि लंबे समय तक कब्जा करने से किसी को वैध अधिकार नहीं मिल सकता है। इस फैसले से यह भी स्पष्ट हुआ कि अवैध कब्जे के मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधि को कानूनी रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता।
जमीन से कब्जाधारियों को नहीं हटा पाई पुलिस -
पुलिस जब अवैध निर्माण हटाने पहुंची थी, तब उसे स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था। अवैध निर्माण से जुड़े लोगों ने एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ में चुनौती देते हुए कहा था कि वर्षों से वहां पर निर्माण है।
100 साल तक जमीन पर कब्जा करने के बाद मिल जाता मालिकाना अधिकार -
कोलकाता हाई कोर्ट (Kolkata High Court Decision) के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायाधीश हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने इस मामले में क्षोभ व्यक्त करते हुए यह स्पष्ट किया कि लंबे समय तक कब्जा करने से भी जमीन के कानूनी मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं होता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अवैध कब्जे (illegal occupation) के मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी, और किसी भी प्रकार के लंबे समय तक कब्जे को कानूनी अधिकार के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह निर्णय अवैध कब्जे के मामलों में एक अहम दिशा-निर्देश साबित हो सकता है।