My job alarm

landlord tenant case : मकान मालिकों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, किराएदारों को तगड़ा झटका

landlord tenant rights : मकान मालिक और किराएदारों में अकसर अनबन चलती रहती है। कई बार गलती मालिक की होती है तो कई बार किराएदार की। मकान मालिक और किराएदार की नौंक झौक व झगड़ों को दूर करने के लिए कई कानूनी प्रावधान है। लेकिन फिर भी कभी प्रोपर्टी खाली करने तो कभी प्रोपर्टी (property rights) पर हक जमाने को लेकर मामले अदालत में पहुंचते रहते हैं। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट का अहम फैसला आया है। 

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landlord tenant case : मकान मालिकों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, किराएदारों को तगड़ा झटका

My job alarm (landlord tenant case high court) : हाईकोर्ट की ओर से आया फैसला करोड़ों मकान मालिक और किराएदारों को जरूर जान लेना चाहिए। यह सभी के जीवन में काम आ सकता है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले से मकान मालिक (landlord rights) को राहत दी है। वहीं किराएदार को तगड़ा झटका लगा है। इस तरह के मामले से अन्य मकान मालिकों को भी ऐसे ही केसों में लाभ मिल सकता है। हाई कोर्ट के फैसले की वर्डिक्ट को अन्य केसों के संदर्भ में भी प्रयोग किया जा सकता है। 


दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में एक मामला प्रोपर्टी के मालिक और किराएदार के बीच के विवाद को लेकर पहुंचा था। इस विवाद (tenant landlord dispute) को हाईकोर्ट ने खत्म करते हुए प्रॉपर्टी के मालिक को राहत दी है, वहीं इसमें किराएदार को झटका लगा है। कोर्ट के फैसले के बाद प्रॉपर्टी ऑनर खुश हैं।

 

कोर्ट ने कही ये बात


हाई कोर्ट ने कहा है कि किरायेदार या फिर अदालत को ऐसा तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि मकान मालिक (landlord rights) कैसे रहे और किस तरीके से उसको रहना चाहिए। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी ने मकान मालिक के अधिकारों को मजबूत किया है। हाई कोर्ट में किराया नियंत्रण कानून के तहत किरायेदार की बेदखली (tenant rights) के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की है। 

 

क्या है मामला


दरअसल विजय कुमार वंशवार ने याचिका दायर की थी। इसपर सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने सुनवाई की। उन्होंने कहा कि मकान मालिक कैसे और किस तरीके से रहेगा यह निर्धारित करने का पूरा अधिकार उनको खुद को है। कोर्ट या फिर कोई तीसरा व्यक्ति मकान मालिक (landlord rights) को निर्देशित नहीं कर सकता है। 


उनको नियंत्रित या प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। लिहाजा अदालत ने मामले में दखल देने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रॉपर्टी मालिक (property owner) को उसकी प्रॉपर्टी के लाभकारी प्रयोग के अधिकार से उसको रोकने का कोई कानूनी उपबंध नहीं है।  हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

 

किराएदार ने किया था विरोध


याचिका लगाने वाला एक दुकान किराए पर लिए हुए है। वह 37 साल से एक छोटी मशीन पार्ट्स की दुकान यहां चलाता रहा है। वहीं मकान मालिक ने ये खाली करवाने के लिए कहा कि उसके बेटे को यहां फर्नीचर का काम शुरु करना है। इसका विरोध किराएदार ने किया। मकान मालिक (property rights) ने दुकान खाली करने की नोटिस दिया फिर बेदखली वाद दायर कर दिया।

 

कोर्ट में किराएदार के तर्क रहे फेल


इसके बाद जिला कोर्ट ने बेदखली आदेश की पुष्टि कर दी। किराएदार ने इसे हाई कोर्ट (property dispute case) में चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि मकान मालिक के पास अपना काम शुरू करने के लिए कई अन्य खाली दुकानें हैं। जबकि मकान मालिक ने इसी दुकान में अपने बेटे के बिजनेस को शुरू करने की जरूरत बताई। मकान मालिक ने कहा कि फर्नीचर का काम शुरू करना चाहते हैं, इसके लिए बड़े क्षेत्र की जरूरत होती है। 
इस काम को छोटी दुकान में नहीं चलाया जा सकता। उनको साथ वाली दुकानों की भी जरूरत होगी। इसमें मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाया गया। वहीं अदालत ने कहा मकान मालिक को याचिका लगाने वाले यानी किराएदार को मुआवजे (tenant compensation) के रूप में 25 हजार रुपये का भुगतान करने के आदेश दिए।

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