Delhi Metro को रोजाना कितनी बिजली की होती है जरूरत, जानिये DMRC के इमरजेंसी बैकअप की खासियत
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My job alarm - (Delhi electricity consumption) दिल्ली में मेट्रो रेल कॉपोरेशन सिस्टम बेहद सुचारू रूप से चल रहा हैं। हर रोज यहां लाखों यात्री ट्रैवल करते हैं। लेकिन फिर भी अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती हैं कि इस सिस्टम में कितनी बिजली की खपत होती हैं और इसके बैकअप सिस्टम का प्रबंधन कैसे मैनेज किया जाता हैं? बता दें कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) में बिजली की खपत के हिसाब यहां का बैकअप सिस्टम का प्रबंधन बेहद कुशल हैं। इसी के साथ हम आपको बताएगें कि दिल्ली मेट्रो के सफल संचालने के लिए रोजाना कितनी बिजली की दरकार होती है? अगर आप भी इन सब चीजों से अनजान हैं तो आइए जानते हैं इस आर्टिकल में इससे जुडी पुरी जानकारी-
1. इतनी हैं Delhi Metro की बिजली खपत
आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली मेट्रो को हर दिन 30 लाख यूनिट बिजली की जरूरत होती है। यह आंकड़ा शहर की कुल (DMRC power backup) बिजली खपत का करीब 2.5% है। इस खपत में मेट्रो ट्रेन के संचालन, स्टेशनों पर रोशनी, एस्केलेटर, लिफ्ट और वेंटिलेशन जैसी सुविधाओं का योगदान होता है।
2. ऐसे आते हैं मेन बिजली सोर्सेस
डीएमआरसी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के डिस्कॉम से लगभग 20 लाख यूनिट बिजली प्राप्त करता है। यह सप्लाई मेट्रो के सुचारु संचालन के लिए मुख्य आधार है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के रीवा स्थित (DMRC emergency backup system) सोलर प्लांट से 0.9 मिलियन यूनिट बिजली "ओपन एक्सेस" के माध्यम से प्राप्त की जाती है। दिल्ली मेट्रो का आधे से ज़्यादा हिस्सा अब सौर ऊर्जा से चलता है, जो मध्य प्रदेश के रीवा से आती है। इसका मतलब है कि 373 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली 290 ट्रेनें एक दिन में 2.6 मिलियन यात्रियों को सेवा प्रदान करती हैं और अब वे सौर ऊर्जा से चलने वाली हैं।
3. सोलर पावर से कैसे होता है फायदा?
दिल्ली मेट्रो अपने ऑफ-साइट और रूफटॉप सोलर पावर प्लांट्स के जरिए पर्यावरण को भी सहयोग दे रही है। यह संयंत्र 99 मेगावाट और 140 मेगावाट की क्षमता प्रदान करते हैं। इनसे न केवल बिजली (Delhi Metro solar power) की बचत होती है, बल्कि डीएमआरसी की डिस्कॉम पर निर्भरता भी 50% तक कम हो जाती है। दिल्ली मेट्रो में होने वाली बिजली की खपत का आधे से ज्यादा हिस्सा सोलर पावर से मिलता हैं। '
4. इमरजेंसी बैकअप की खासियत -
दिल्ली मेट्रो (डीएमआरसी) ने बिजली के आपातकालीन प्रबंधन के लिए प्रभावी बैकअप सिस्टम तैयार किया है। प्रत्येक ट्रैक्शन लाइन पर (DMRC energy management) औसतन चार सब-स्टेशंस होते हैं। इनमें से किसी एक के फेल हो जाने पर बाकी सब-स्टेशंस से बिजली सप्लाई की जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि मेट्रो सेवा कभी भी पूरी तरह ठप न हो।
5. पर्यावरण के प्रति योगदान -
रीवा सोलर प्लांट से मिलने वाली बिजली मेट्रो को कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद करती है। यह प्रयास दिल्ली मेट्रो को ग्रीन एनर्जी (Delhi Metro environmental contribution) उपयोगकर्ताओं की श्रेणी में रखता है और पर्यावरणीय संरक्षण के लिए इसे एक आदर्श बनाता है।
6. तकनीकी सुधार और उन्नत प्रबंधन -
डीएमआरसी आधुनिक तकनीकों और एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग करता है। इसके अलावा, बिजली खपत के हर पहलू को डिजिटल रूप से मॉनिटर किया जाता है। इस तकनीकी कुशलता की वजह से बिजली की बर्बादी को न्यूनतम रखा जाता है।
7. क्या है भविष्य की योजना?
दिल्ली में जनता के उज्जवल भविष्य के लिए तरह तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कउी में डीएमआरसी भविष्य में अपनी ऊर्जा (How much electricity DMRC require every day?) जरूरतों को पूरी तरह नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इसके लिए वह सौर ऊर्जा और अन्य ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है।
8. Energy Management की मिसाल -
दिल्ली मेट्रो ऊर्जा प्रबंधन, तकनीकी कुशलता और पर्यावरणीय जागरूकता का बेहतरीन उदाहरण है. डीएमआरसी का यह मॉडल अन्य शहरों के लिए प्रेरणा है।