CIBIL Score के मामले में कंज्यूमर कोर्ट का अहम फैसला, ग्राहकों को बड़ी राहत
Court Decision on CIBIL Score : किसी भी सरकारी या प्राइवेट बैंक से लोन लेने जाते हैं तो सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर चेक किया जाता है। इसलिए इसका महत्व ज्यादा है। हाल ही में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) को लेकर कंज्यूमर कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है। इससे ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी, आइये जानते हैं इस फैसले के बारे में।
My job alarm (CIBIL Score) : अगर आपका सिबिल स्कोर खराब होता है तो आपको लोन लेने में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप समय पर लोन नहीं चुकाते हैं या EMI का भुगतान नहीं करते हैं तो इसका असर आपके सिबिल स्कोर (cibil score par loan ka asar) पर पड़ता है।
लेकिन कई बार देखने को मिला है कि समय पर लोन चुकाने के बाद भी या बिना कोई लोन लिए सिबिल स्कोर खराब खराब दिखता है। इसी से संबंधित एक मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक महत्तवपूर्ण फैसला सुनाया है।
CIBIL Score नहीं हुआ था अपडेट
कंज्यूमर कोर्ट (Court Decision on CIBIL Score) ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और शाहा फिनलीज को CIBIL स्कोर अपडेट न करने पर 1 लाख रुपये की राशि का मुआवजे के तौर पर भुगतान करने का निर्णय सुनाया है।
मुकदमे में लगा खर्च भी देना होगा।
इस मामले में कारोबारी वीवी वेंकटेश बाबू ने क्रेडिट कार्ड खाते के बंद होने पर सिबिल स्कोर अपडेट (Credit Score) न करने की शिकायत दी थी। इस मामले में बेंगलुरु के अतिरिक्त उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Additional Consumer Disputes Redressal Commission) ने इस मामले में शामिल दोनों फर्म को 1 लाख रुपये की मुआवजा राशि के अलावा 3000 रुपये की वह राशि भी देने को कहा है जो इस केस में शिकायतकर्ता की खर्च हुई है।
शिकायतकर्ता ने किया था क्रेडिट कार्ड सरेंडर
इस मामले में शिकायतकर्ता ने 2010 में अपना क्रेडिट कार्ड भी सरेंडर कर दिया था, लेकिन क्रेडिट कार्ड सरेंडर (credit card surrender rules) करने के बाद भी बैंक ने अलग-अलग चार्जेज के लिए उनको परेशान कर रखा था। इसके चलते शिकायतकर्ता ने दावा किए गए बकाया के पूर्ण और फाइनल सेटलमेंट के लिए 15,500 रुपये का भुगतान करके खाता बंद करने के लिए बैंक से कहा।
शिकायतकर्ता ने बैंक के कहे अनुसार ही राशि का भुगतान किया और कोई बैलेंस रकम नहीं होने के लिए कन्फर्मेशन भी प्राप्त किया। इसके बावजूद सिबिल को अपडेट (cibil score) नहीं किया गया। इसके बाद कोर्ट में याचिका दायर की थी।
CIBIL रिकॉर्ड से हटा दिया था नाम
ग्राहक की ओर से इतना सब करने के बावजूद बैंक ने शिकायतकर्ता का नाम CIBIL रिकॉर्ड से हटा दिया और इसे मनमर्जी अनुसार शाहा फिनलीज के साथ अपडेट (cibil record updating rules) कर दिया। शिकायतकर्ता को इस बात की जानकारी बाद में हुई कि बैंक की ओर से CIBIL रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया था और उन्होंने उसे देनदार के रूप में बताना जारी रखा।
इसके चलते असाइनी ने नो-डयूज सर्टिफिकेट जारी करने और CIBIL रिकॉर्ड को अपडेट (cibil score update kaise hota hai) करने के लिए 20,491 रुपये की धनराशि की भी मांग की।ऐसी स्थिति में शिकायतकर्ता मामले को कंज्यूमर कोर्ट में ले आया और बैंक की ओर से की गई इस मांग के बारे में बताया। जबकि बैंक की ओर से इस मामले में कोई कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ।
जारी किया गया था कानूनी नोटिस
इस बारे में असाइनी शाहा फिनलीज ने जिक्र किया कि शिकायत समय पर नहीं की गई थी और शिकायतकर्ता ने इस घटना के 8 साल बाद उससे संपर्क किया था।इस बारे में विचार करते हुए पाया गया कि नियुक्त व्यक्ति ने 2020 और 2022 में शिकायतकर्ता को कानूनी नोटिस (Legal notice to complainant) जारी किया था। नोटिस का मकसद यह सूचित करना था कि बैलेंस रकम बकाया थी। उनके नाम पर 20 लाख और 33 लाख से अधिक का बकाया है।
शिकायतकर्ता देनदार के रूप में दर्शाए गए अपने नाम को हटाने की जब गुहार लगा रहा था, तो उस समय, शाहा फिनलीज ने CIBIL रिकॉर्ड (cibil score sudharne ke treeke)से उनका नाम हटाने की एवज में 20 हजार से ज्यादा रुपये की मांग की। यह सब शिकायतकर्ता को मनमानी किए जाने के साथ ही अनुचित लग रहा था। ऐसे में परेशान होकर उसने कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शिकायत पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने निर्णय सुनाया व बैंक पर जुर्माना लगाते हुए एक लाख का मुआवजा व केस में खर्च राशि देने का निर्णय सुनाया।